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फागुन के मौसम - भाग 24 By शिखा श्रीवास्तव

थोड़ी ही देर में जब नंदिनी जी भी घर आ गयीं तब उन्हें चाय देकर राघव और तारा पराठे सेंकने चल पड़े। उन दोनों को इस तरह एक साथ देखकर नंदिनी जी ने मन ही मन कहा, "न जाने वो दिन कब आयेगा ज...

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फादर्स डे - 76 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 76 रविवार 17/05/2015 सूर्यकान्त ने अब लहू के पैरों का हिस्सा और मृतदेह के पैरों का हिस्सा ठीक से देखा। लैपटॉप की स्क्रीन पर दोनों फोटो को बार-बार ज़ूम करके दे...

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दादा जी के साथ घर आयी चुड़ैल By Tarun Sachan

आज जो मै आपको किस्सा सुनाने जा रहा हु वो मेरे दादाजी के साथ हुआ था | दिसम्बर के कड़ी ठंड का समय था घना कोहरा छाया था | दादाजी शहर में क्लर्क थे उस दिन सारे लोग जल्दी कार्यालय का सार...

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द्वारावती - 30 By Vrajesh Shashikant Dave

30एक नया प्रभात अपने सौंदर्य को लेकर आगमन करने की तैयारी कर रहा था। उस क्षण अनायास ही आकर्षित होती हुई गुल भड़केश्वर महादेव के मंदिर के प्रति चलने लगी। तट पर आकर रुक गई। ‘मुझे मंदि...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 13 By Neerja Hemendra

भाग 13 समय व्यतीत होता जा रहा था। आजकल मुझे माँ के घर की बहुत याद आ रही थी। जब से इन्द्रेश की अस्वस्थता के विषय में ज्ञात हुआ है तब से कुछ अधिक ही। अन्ततः मुझसे रहा नही गया और एक द...

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वंश - भाग 1 By Prabodh Kumar Govil

प्रबोध कुमार गोविल     हर उस व्यक्ति के नाम  जिसे देखकर लगे  कि इंसान को  ऐसा ही होना चाहिए   एक यह कहानी जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं यह हमारी लिखी ह...

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शोहरत का घमंड - 86 By shama parveen

आर्यन की कॉल देख कर आलिया को बहुत ही गुस्सा आता है मगर वो मजबूरी में उसकी कॉल लेती हैं।तब आर्यन बोलता है, "सारी तैयारी हो गई है ना तुम्हारी कल के लिए"।तब आलिया गुस्से में बोलती है,...

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नक़ल या अक्ल - 16 By Swati

16 नकल     किशोर को अब भी विश्वास नहीं हुआ,  उसने राधा को कातर नज़रों से देखते हुए कहा,  “पर तेरे माँ बापू ऐसा क्यों कर रहें है? “   बंसी काका ने बापू से दहेज़ नहीं माँगा है। उन्होंन...

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रेबिर्थ ऑफ़ डेविल - 1 By Sanju

पृथ्वी पर अनेक प्रेम कहानी रची गईं है जैसे हीर रंझा, लैला मजनू जिनकी प्रेम को पूरा कायनात आज तक नहीं भूली है।हमारे क्लचर में हर प्रेमी को श्रीकृष्णा और प्रेमिका को राधा रानी के रूप...

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पुष्कर By Ankur Saxena Maddy

वर्ष 1999…. भारत के बेंगलुरु शहर में जून माह के अन्तिम सप्ताह की सुनहरी शाम का समय हो चला था| पुष्कर और आर्या, जो बचपन के मित्र थे, बेंगलुरु के एक बोर्डिंग स्कूल में आठवीं कक्षा से...

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 24 By Kavita Verma

शिव और अजय बातें करते हुए रति के क़रीब से निकल गए। तभी रति गौरी से बोली- गौरी अब मैं फोन रखती हूं, थोड़ा काम है मुझे। मैं फिर तुझे फोन करूंगी। तू प्लीज़ मुझे वहां का हाल बताती रहना...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 58 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    58   जेठानियाँ जैसा उन्होंने मुझे बताया था कि वे रिश्ते में मेरी जिठानी लगती हैं , मुझे लड्डू खिलाकर थाली वहीं मेरे सामने रख कर एक बार गायब हुई तो दोबारा नजर...

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औक़ात By prabhat samir

डाॅ प्रभात समीर काशी बाबू ने अपने छुटके को डाँटा-फटकारा, रिश्ते-नातों की दुहाई दी, मारपीट की और फिर थक-टूटकर उससे दया की भीख भी माँगी। क्रोध से शुरू होकर खीज, करुणा और बेबसी तक पहु...

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स्वयंवधू - 6 By Sayant

वृषा को नहीं पता कि एक छोटा सा दाग एक लड़की के जीवन और उसके परिवार की छवि को नष्ट करने के लिए किस तरह पर्याप्त होता है। मैंने वो रात बेचैनी में बितायी।स्टडी रूम में, मैं गहरे विचार...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 17 By Sneh Goswami

  पथरीले कंटीले रास्ते    17   फूलों में से झांकता हुआ गुणगीत का खिला हुआ गुलाब जैसा चेहरा उसे निमंत्रण देकर अपनी ओर खींच रहा था । उसकी मादक मुस्कान उसे घायल कर रही थी कि वह बेबस ह...

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भारत की रचना - 9 By Sharovan

भारत की रचना / धारावाहिक नवां भाग कॉलेज लग रहा था. सारे विद्द्यार्थी अपनी-अपनी कक्षाओं में बैठे हुए अध्ययन कर रहे थे. कॉलेज के प्रांगण में चारों तरफ मौन छाया हुआ था. कुछेक मनचले और...

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फागुन के मौसम - भाग 24 By शिखा श्रीवास्तव

थोड़ी ही देर में जब नंदिनी जी भी घर आ गयीं तब उन्हें चाय देकर राघव और तारा पराठे सेंकने चल पड़े। उन दोनों को इस तरह एक साथ देखकर नंदिनी जी ने मन ही मन कहा, "न जाने वो दिन कब आयेगा ज...

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फादर्स डे - 76 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 76 रविवार 17/05/2015 सूर्यकान्त ने अब लहू के पैरों का हिस्सा और मृतदेह के पैरों का हिस्सा ठीक से देखा। लैपटॉप की स्क्रीन पर दोनों फोटो को बार-बार ज़ूम करके दे...

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दादा जी के साथ घर आयी चुड़ैल By Tarun Sachan

आज जो मै आपको किस्सा सुनाने जा रहा हु वो मेरे दादाजी के साथ हुआ था | दिसम्बर के कड़ी ठंड का समय था घना कोहरा छाया था | दादाजी शहर में क्लर्क थे उस दिन सारे लोग जल्दी कार्यालय का सार...

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30एक नया प्रभात अपने सौंदर्य को लेकर आगमन करने की तैयारी कर रहा था। उस क्षण अनायास ही आकर्षित होती हुई गुल भड़केश्वर महादेव के मंदिर के प्रति चलने लगी। तट पर आकर रुक गई। ‘मुझे मंदि...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 13 By Neerja Hemendra

भाग 13 समय व्यतीत होता जा रहा था। आजकल मुझे माँ के घर की बहुत याद आ रही थी। जब से इन्द्रेश की अस्वस्थता के विषय में ज्ञात हुआ है तब से कुछ अधिक ही। अन्ततः मुझसे रहा नही गया और एक द...

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प्रबोध कुमार गोविल     हर उस व्यक्ति के नाम  जिसे देखकर लगे  कि इंसान को  ऐसा ही होना चाहिए   एक यह कहानी जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं यह हमारी लिखी ह...

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शोहरत का घमंड - 86 By shama parveen

आर्यन की कॉल देख कर आलिया को बहुत ही गुस्सा आता है मगर वो मजबूरी में उसकी कॉल लेती हैं।तब आर्यन बोलता है, "सारी तैयारी हो गई है ना तुम्हारी कल के लिए"।तब आलिया गुस्से में बोलती है,...

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नक़ल या अक्ल - 16 By Swati

16 नकल     किशोर को अब भी विश्वास नहीं हुआ,  उसने राधा को कातर नज़रों से देखते हुए कहा,  “पर तेरे माँ बापू ऐसा क्यों कर रहें है? “   बंसी काका ने बापू से दहेज़ नहीं माँगा है। उन्होंन...

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डाॅ प्रभात समीर काशी बाबू ने अपने छुटके को डाँटा-फटकारा, रिश्ते-नातों की दुहाई दी, मारपीट की और फिर थक-टूटकर उससे दया की भीख भी माँगी। क्रोध से शुरू होकर खीज, करुणा और बेबसी तक पहु...

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वृषा को नहीं पता कि एक छोटा सा दाग एक लड़की के जीवन और उसके परिवार की छवि को नष्ट करने के लिए किस तरह पर्याप्त होता है। मैंने वो रात बेचैनी में बितायी।स्टडी रूम में, मैं गहरे विचार...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 17 By Sneh Goswami

  पथरीले कंटीले रास्ते    17   फूलों में से झांकता हुआ गुणगीत का खिला हुआ गुलाब जैसा चेहरा उसे निमंत्रण देकर अपनी ओर खींच रहा था । उसकी मादक मुस्कान उसे घायल कर रही थी कि वह बेबस ह...

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भारत की रचना - 9 By Sharovan

भारत की रचना / धारावाहिक नवां भाग कॉलेज लग रहा था. सारे विद्द्यार्थी अपनी-अपनी कक्षाओं में बैठे हुए अध्ययन कर रहे थे. कॉलेज के प्रांगण में चारों तरफ मौन छाया हुआ था. कुछेक मनचले और...

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